
प्रेम पीढ़ियों से फिलोसोफर्स, कवियों, लेखकों और वैज्ञानिकों का एक पसंदीदा विषय रहा है, और विभिन्न लोगों और समूहों ने अक्सर उनकी परिभाषा के बारे में संघर्ष किया है। जबकि अधिकांश लोग इस बात से सहमत हैं कि प्यार स्नेह की मजबूत भावना है, इसके सही अर्थ के बारे में कई असहमतियां हैं, और एक व्यक्ति का "आई लव यू" का मतलब दूसरे की तुलना में काफी अलग हो सकता है जैसे एक बेटे का अपने पिता को 'आई लव यू' कहना ये एक अलग प्यार की भावना है । प्यार की कुछ संभावित परिभाषाओं में शामिल हैं:
1 दूसरे की भलाई या अपने से ऊपर किसी और की खुशी को बढ़ावा देने की इच्छा।
2 लगाव, स्नेह और आवश्यकता की (एक्सट्रीम) चरम भावनाएं।
3 नाटकीय, अचानक आकर्षण और सम्मान की भावनाएं।
4 देखभाल, की भावना।
5 दूसरे की मदद करने, सम्मान करने और देखभाल करने के लिए प्रतिबद्ध होना, जैसे कि शादी में या जब बच्चा हो।
चलिए इश्क़ वाले प्यार को जानने की कोशिश करते है।
आखिर क्या है ऐसा इस नाजुक से शब्द 'प्यार' में कि सुनते ही रोम-रोम में मीठा और भीना अहसास जाग उठता है। जिसे प्यार हुआ नहीं, उसकी इच्छा है कि हो जाए, जिसे हो चुका है वह अपने सारे प्रयास उसे बनाए रखने में लगा रहा है।
प्रेम, प्यार, इश्क, मोहब्बत, नेह, प्रीति, अनुराग, चाहत, आशिकी, अफेक्शन, लव। ओह! कितने-कितने नाम। और मतलब कितना सुंदर, सुखद और सलोना। आज प्रेम जैसा कोमल शब्द उस मखमली लगाव का अहसास क्यों नहीं कराता जो वह पहले कराता रहा है?
जो इन नाजुक भावनाओं की कच्ची राह से गुजर चुका है वही जानता है कि प्यार क्या है? कभी हरी दूब का कोमल स्पर्श, तो कभी चमकते चांद की उजली चांदनी।
सच्चा प्यार शारीरिक आकर्षण नहीं है, बल्कि सुंदर सजीले रंगों की मनभावन बरखा है प्यार। अपने प्यार की एक झलक देख लेने की 'गुलाबी' बेचैनी है प्यार। 'उसके' पास होने का अहसास को याद करने की इच्छा है प्यार। उसकी आवाज सुनने को तरसते कानों की गुदगुदी है प्यार।
उसकी कच्ची मुस्कान देखकर दिल में गुलाल की लहर का उठना है प्यार। उसके पहले उपहार से शरबती आंखों की बढ़ जाने वाली चमकीली रौनक है प्यार। कितने रंग छुपे हैं प्यार के अहसास में?
सूखे हुए फूल की झरी हुई पंखुरी है प्यार। किसी किताब के कवर में छुपी चॉकलेट की पन्नी भी प्यार है और बेरंग घिसा हुआ लोहे का छल्ला भी। प्यार कुछ भी हो सकता है। कभी भी हो सकता है। बस, जरूरत है गहरे-गहरे और बहुत गहरे अहसास की।
प्यार का अर्थ सिर्फ और सिर्फ देना है। और देने का भाव भी ऐसा कि सब कुछ देकर भी लगे कि अभी तो कुछ नहीं दिया।
प्यार किसी को पूरी तरह से पा लेने का स्वार्थ नहीं है, बल्कि अकेले में एक-दूजे को देखते रहने की भोली तमन्ना है प्यार। बाइक पर अपने साथी से लिपट जाना ही नहीं है प्यार, एक-दूसरे का मासूम सम्मान और गरिमा है प्यार। उधार लेकर महंगे गिफ्ट खरीदना नहीं है प्यार, बल्कि अपनी सैलेरी से खरीदा भावों से भीगा एक सूर्ख गुलाब है प्यार।
आज कल के दौर मे प्यार को बस शारीरिक तौर पर देखा जाने लगा है, पैसा और स्टेटस पर यह तय किया जाने लगा है की कौन किस से कितना प्यार करता है जहाँ एक के बाद एक गर्लफ्रेंड/ बॉयफ्रेंड बनाना आम बात हो गयी है और लोग इस अय्याशी को प्यार का नाम भी देने लगे है जो एक गलत भविष्य है प्यार जैसे खूबसूरत एहसास की।
प्यार को पनपने के लिए 'स्पेस' दीजिए। प्यार जैसी खूबसूरत अनुभूति को खत्म मत कीजिए। बल्कि इस कोमल भावना के सम्मान का संकल्प लीजिए। इसे खेलने की चीज न बनाएं बल्कि खुशी और खिलखिलाहट की वजह बने रहने दीजिए।